
उपच्छाया ग्रहण वास्तव में नही होता चंद्रग्रहण : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज
उपच्छाया ग्रहण वास्तव में नही होता चंद्रग्रहण : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज/ एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस
देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की साल 2020 का आखरी चंद्रगहण 30 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा है। 30 नवंबर के दिन दोपहर 1.04 बजे से ग्रहण लगना शुरू होगा और 5.22 मिनट कर रहेगा।
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की इस बात का ध्यान रहे कि यह उपच्छाया ग्रहण वास्तव में चंद्रग्रहण नही होता। इस उपच्छाया ग्रहण की समयावधि में चंद्रमा की चांदनी में केवल धुन्धलापन आ जाता है। इस उपच्छाया ग्रहण के सूतक स्नानदानादि माहात्म्य का विचार भी नही होगा।
भारत सहित यह उपच्छाया अधिकतर यूरोप, एशिया, आॅस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण-पश्चिमी दक्षिण अमरीका (पूवी ब्राजील, उर्गवे, पूर्वी अर्जन्टीना), प्रशांत तथा हिन्द महासागर आदि क्षेत्रो में दिखाई देगा।
तृतीय उपच्छाया ग्रहण (30 नवम्बर 2020 ई. सोमवार)- भारत के उत्तर, उत्तर-पश्चिमी, मध्य, दक्षिण प्रांतों में यह उपच्छाया दिखाई नही देगी। शेष उत्तर-पूर्वी, मध्य-पूर्वी भारत में जहां चंद्रोदय सांय 17घं-23 मि0 से पहिले होगा, वहां यह उपच्छाया ग्रस्तोदय रूप में दृश्य होगी। अर्थात् जब चंद्रोदय होगा, तब छाया चल रही होगी। भारत, ईराक, अफगानिस्तान को छोडकर), इंग्लैण्ड, आयरलैण्ड, नार्वे, उत्तर-स्वीडन ,उत्तरी-फिनलैण्ड, आॅस्ट्रेलिया, उत्तरी अमरीका, दक्षिणी अमरीका तथा प्रशांत महासागर में दिखाई देगा। इसके स्पर्श आदि का समय इस प्रकार होगा- स्पर्श, मध्य, मोक्ष
इस उपच्छाया ग्रहण के स्नान, सूतकादि का विचार नही होगा। पूर्णिमा संबंधी सभी धर्मिक कृत्य जैसे-व्रत, उपवास, दान, सत्यानारायण व्रत-पूजन आदि तो निःसंकोच होकर करने ही चाहिएं।
ध्यान रहे, भारतीय ज्योतिष के प्राचीन ग्रंथों में भी इस उपच्छाया या धुंधलेपन का धार्मिक महत्व नही बतलाया गया है। उपच्छाया ग्रहण में न तो अन्य पूर्ण अथवा खण्डग्रास ग्रहणों की भांति पृथ्वी पर उनकी काली छाया पडती है, न ही सौरपिंडों (सूर्य-चंद्र) की भांति उनका वर्ण काला होता है। केवल चंद्रमा की आकृति में उसका प्रकाश कुछ धुंधला सा हो जाता है।